हेलो रीडर आप सभी का इस लेख में स्वागत है। आज हम इस लेख में पढेंगे कि, लिंग किसे कहते हैं? प्रकार और लिंग निर्णय के नियम कौन-कौन से हैं। हिंदी व्याकरण में लिंग बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है, जिसे संज्ञा का हिस्सा माना जाता है, लेकिन बहुत से लोग इसे विस्तार से नही नही जानते हैं। तो चलिए जानते हैं-
लिंग किसे कहते है? लिंग की परिभाषा
लिंग की परिभाषा:- शब्द की जाति लिंग कहलाती है। संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु के नर अथवा मादा जाति का पता चलता है, उसे ‘लिंग’ कहते हैं। संस्कृत में संज्ञा के तीन भेद बताये गए हैं। ये हैं— पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग। हिन्दी में शब्दों को दो लिंगों में रखा गया है। यहाँ नपुंसक लिंग नहीं है। हिन्दी में सारे जड़ अथवा चेतन शब्द पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग दो लिंगों में विभक्त हैं। हिन्दी में लिंगों की अभिव्यक्ति वाक्यों में होती है। वाक्य प्रयोग द्वारा संज्ञा शब्दों के लिंग का भेद स्पष्ट होता है। वाक्यों में लिंग सर्वनाम,विशेषण, क्रिया तथा कारक की विभक्तियों में विकार से उत्पन्न होता है।
लिंग के भेद
लिंग के दो भेद होते है। हिंदी भाषा के अनुसार, पुर्लिंग और स्त्रीलिंग और र संस्कृत भाषा में लिंग के तीन भेद होते है, पुर्लिंग, स्त्रीलिंग, और नपुसंकलिंग होते है।
हिंदी भाषा में
- पुर्लिंग
- स्त्रीलिंग
संस्कृत भाषा में
- पुर्लिंग
- स्त्रीलिंग
- नपुसंकलिंग
लिंग-निर्णय के महत्वपूर्ण नियम
सर्वनाम में विकार से
मेरी घड़ी सुन्दर है। (‘घड़ी’ स्त्रीलिंग के कारण सर्वनाम में विकार उत्पन्न हुआ)
मेरा मकान अच्छा है। (‘मकान’ पुल्लिंग है)
विशेषण में विकार से
वह बड़ा मकान है। वह बड़ी घड़ी है।
क्रिया में विकार से
रोटी जली है। = जलना में विकार ‘रोटी’ स्त्रीलिंग के कारण
बुढ़ापा (old age) आ गया = ‘बुढ़ापा’ पुल्लिंग के अनुसार क्रिया
विभक्ति में विकार से
गुलाब का लाल रंग सुन्दर है।
उसकी नाक कट गई।
तत्सम शब्दों का लिंग-निर्णय
- तत्सम शब्द जिनके अन्त में ‘त्र’, ‘न’, ‘ज’, त्व,व, त्य, य होता है, पुल्लिंग शब्द होते हैं। वैसे कई शब्द अपवाद स्वरूप हो सकते हैं: जैसे पवन का प्रयोग दोनों लिंगों में होता है।
- तत्सम शब्द जिनके अन्त में ‘आर’, ‘आय’ तथा ‘आस’ हो, वे भी पुल्लिंग होते हैं; उदाहरण समुदाय, अध्याय, विकास, विकार इत्यादि।
- अ-प्रत्ययान्त, त-प्रत्ययान्त तथा ख-प्रत्ययान्त वाले तत्सम शब्द भी होते हैं; जैसे जय, नख, फलित,पराजय,गणित, मुख, लेख इत्यादि।
- तत्सम शब्दों में आकारान्त, नाकारान्त, उकारान्त, ईकारान्त, इकारान्त, तथा ‘ता’ तथा इमा प्रत्ययान्त वाली भाववाचक संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं। इसमें भी कतिपय अपवाद हैं, जो प्रयोग के आधार पर पुल्लिंग शब्द बन गए। इकारान्त शब्द वारि, जलधि,बलि, गिरि,पाणि, आदि इत्यादि शब्द पुल्लिंग हैं।
- उकारान्त शब्दों में मधु, अश्रु, तालु, मेरु, सेतु, हेतु इत्यादि पुल्लिंग शब्द हैं।
तद्भव शब्दों का लिंग-निर्णय
- ऊनवाचक संज्ञाओं को छोड़कर सभी तद्भव आकारान्त संज्ञाएँ पुल्लिंग है; जैसे कपड़ा, पहिया, आटा इत्यादि।
- जिन तद्भव भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में ना, आव, पन, वा, पा इत्यादि होता है, पुल्लिंग शब्द होते हैं; जैसे गाना, चढ़ाव, बुढ़ापा इत्यादि।
- ‘आन’ कृदन्तान्त संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं; जैसे लगान, पठान, खान-पान इत्यादि। वैसे कतिपय अपवाद भी हैं; जैसे उड़ान, चट्टान स्त्रीलिंग शब्द हैं।
- ईकारान्त, ऊनवाचक,कृदन्त,अनुस्वारान्त,नकारान्त, कृदन्त, तकारान्त, ऊकारान्त, याकारान्त, सकारान्त, अकारान्त, ख अन्त्य वाली तथा ट,हट,वट अन्त्य वाली भाववाचक संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं, मगर, इसमें कई अपवाद हैं।
- ईकारान्त संज्ञाएँ जी, मोती घी, दही, , पानी इत्यादि पुल्लिंगहोते हैं।
- तकारान्त संज्ञाओं में भात, खेत, गात, दाँत इत्यादि पुल्लिंग हैं
अर्थ के अनुसार लिंग-निर्णय
- शरीर के अधिकांश अंग पुल्लिंग होते हैं, किन्तु नाक, आँख, जीभ, नस, हड्डी इत्यादि स्त्रीलिंग हैं।
- रत्नों के नाम, धातुओं के नाम, अनाजों के नाम, पेड़ों के नाम, द्रव्य पदार्थ तथा भौगोलिक परिदृश्यों के नाम प्राय: पुल्लिंग होते हैं; जैसे मोती, हीरा, सोना, ताँबा, गेहूँ, देश, नगर, समुद्र, चावल,पानी, पीपल, आम, तेल, पर्वत इत्यादि,
- इनमें कतिपय अपवाद भी हैं, जैसे मणि, चाँदी, मक्का, मूँग, लीची, नारंगी, चाय, शराब, पृथ्वी, झील, घाटी इत्यादि स्त्रीलिंग शब्द हैं।
- नदियों के नाम, नक्षत्रों के नाम, मसालों के नाम, खाने-पीने की चीजों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे रोहिणी, लौंग, गंगा, यमुना, अश्विनी, इलायची,दाल, खीर, मिर्च, रोटी, कचौड़ी, खिचड़ी इत्यादि। इनमें भी कतिपय अपवाद हैं;
- जैसे सिन्धु तथा ब्रह्मपुत्र नदी पुल्लिंग हैं। धनिया, जीरा, नमक, परांठा, दही, रायता इत्यादि पुल्लिंग हैं।।
तत्सम स्त्रीलिंग एवं पुल्लिंग शब्द
पुल्लिंग शब्द:- पत्र, मित्र, गगन, पालन, कार्य, माधुर्य,मोद, सुख, मेघ, प्रसार, प्रहार, व्यवसाय, क्रोध,
अलंकार, यवन, रविवार, विहार, कमल,अपराध, विवाह, निबन्ध, अनुच्छेद, नाटक,
आवास, प्रतिवेदन, संकल्प, उत्पादन, संस्करण, शासन, विवाद, विरोध इत्यादि।
स्त्रीलिंग शब्द:- दया, माया, ममता,कृति, स्थिति, विकृति, क्षति, शिक्षा, प्रस्तावना, सुन्दरता, कला,समता, सेना, सूचना,शोभा, प्रार्थना, गणना, परीक्षा, योग्यता,हानि, नदी, मृत्यु, वायु, महिमा, गरिमा, कालिमा, लालिमा, वस्तु, कुण्डली, अग्नि, शान्ति, क्रान्ति, इच्छा,भाषा, विधा इत्यादि।
निष्कर्ष
हमें आशा है कि आपको लिंग के बारे में लिखा गया यह महत्वपूर्ण आर्टिकल “लिंग किसे कहते हैं और उसके कितने भेद हैं?” आपके लिए काफी लाभदायक सिद्ध हुआ होगा। कृपया इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि और भी विद्यार्थी को लिंग के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।
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FAQ
लिंग किसे कहते हैं ?
उत्तर:- शब्द की जाति लिंग कहलाती है। संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु के नर अथवा मादा जाति का पता चलता है, उसे ‘लिंग’ कहते हैं।
लिंक के कितने भेद होते है ?
उत्तर:- हिंदी भाषा के अनुसार, पुर्लिंग और स्त्रीलिंग और र संस्कृत भाषा में लिंग के तीन भेद होते है, पुर्लिंग, स्त्रीलिंग, और नपुसंकलिंग होते है।
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